Thursday, July 2, 2009


उम्मीद एक ज़िन्दा शब्द है
‘दायित्वबोध’ के महत्वपूर्ण सम्पादकीय लेखों का संकलन

यह किताबदायित्वबोधमें प्रकाशित महत्त्वपूर्ण सम्पादकीय लेखों का संकलन है।दायित्वबोधउन बुद्धिजीवियों की पत्रिका है, जिन्होंने जनता का पक्ष चुना है।
दायित्वबोधअकर्मक विमर्श-विलास का मंच नहीं है और अपने घोषित सूत्र-वाक्य के अनुसार, जनता का पक्ष चुनने वाले बुद्धिजीवियों की पत्रिका के रूप में अपने समय के जीवित प्रश्नों और जनमुक्ति-संघर्ष की ठोस समस्याओं को ही हमेशा अपनी विषय-सूची में स्थान दे, हमारा सर्वोपरि प्रयास यही रहा है।दायित्वबोधप्लेख़ानोव की यह नसीहत आज भी सौ फीसदी सही मानता है किज़िन्दा आदमी ज़िन्दा सवालों पर सोचता है।इसीलिए पाठकों को संकलित सम्पादकीय निबन्धों के विवेच्य विषयों में पर्याप्त वैविध्य के साथ ही, उस समय की झलक भी मिलेगी जब ये निबन्ध लिखे गये थे। पश्चदृष्टि से देखें तो किंचित असन्तुलन के बावजूद, बीसवीं सदी के अन्तिम दशक का निर्णायक, परिवर्तनशील और संकटग्रस्त समय, इन लेखों में उपस्थित प्रतीत होगा।
कि: ‘उम्मीद एक ज़िन्दा शब्द है। क्रान्तियों की मृत्यु नहीं हुई है। विचारधारा का अन्त नहीं हुआ है। विश्व पूँजी की देदीप्यमान, प्रतापीय बर्बरता की तबाही सुनिश्चित है। यह सदी सर्वहारा क्रान्तियों के नये संस्करणों के उद्भव और विकास की सदी है। और आखि़री बात यह कि जो चिन्तन और विमर्श कर्म-विरत है, जो जारी अन्याय के विधि-विधान को समझने और उसे तबाह कर देने में हमारी मदद नहीं करता, वह बौद्धि भोग-विलास है, शब्दों की तिजारत है, विचारों की वेश्यावृत्ति है।

प्रकाशक : राहुल फाउण्डेशन
सम्पादक : विश्वनाथ सिंह, अरविन् सिंह
मूल् : 75 रुपये
ISBN: 978-81-87728-80-1

3 comments:

निर्मला कपिला said...

पहली बार आपका ब्लोग देखा है अपनी आज की पोस्ट के साथ ये पुस्तक मिलने का पता और मूल्य जैसी जानकारी भी मिलती तो बहुत अच्छा था अपका ये प्रयास बहुत बडिया लगा शुभकामनायें

ओम आर्य said...

bhut hi achchhi jaankari.........sundar

Sankalp said...

निर्मला जी

इस पुस्‍तक से जुड़ी प्रकाशक, मूल्‍य आदि की जानकारी पोस्‍ट में डाल दी गयी है।

वैसे ब्‍लॉग में जनचेतना का सम्‍पूर्ण सूचीपत्र दिया गया है और यह भी बताया गया है कि आप पुस्‍तकें कहां-कहां से मंगा सकते हैं।

हाल ही में

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