Thursday, January 21, 2010

‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर ए.बी.वी.पी. के गुण्डों का हमला



वाहन पर मौजूद कार्यकर्ताओं से मारपीट, वाहन के शीशे तोडे़
भगतसिंह, प्रेमचंद, राहुल आदि की किताबें फेंकी, आग लगाने की कोशिश

20 जनवरी, नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 25 गुण्डों ने आज दोपहर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के भीतर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति से खड़े ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया। उन्होंने वाहन के शीशे तोड़ डाले और वहाँ मौजूद तीन कार्यकर्ताओं कुणाल, संजय और नवीन के साथ मारपीट की। ज्ञात हो कि ‘जनचेतना’ एक सांस्कृतिक मुहिम है जो पिछले 24 वर्षों से पूरे देश में प्रेमचंद, शरतचंद्र, भगतसिंह, गोर्की, राहुल सांकृत्यायन, राधामोहन गोकुलजी, तोल्स्तोय, हेमिंग्वे, आदि लेखकों, चिंतकों और साहित्यकारों के साहित्य व लेखन के जरिये समाज में प्रगतिशील विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है। ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुण्डावाहिनी ए.बी.वी.पी. का यह पहला हमला नहीं है। इसके पहले भी जनवाद और समानता के विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी इस सांस्कृतिक मुहिम पर संघ परिवार के संगठन हमला कर चुके हैं। इसके पहले मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद, जयपुर, आगरा आदि में भी ए.बी.वी.पी., विहिप तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था। पिछले वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में भी ए.बी.वी.पी. ने प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था लेकिन दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया था।
आज हुए हमले के दौरान ए.बी.वी.पी. के लोग हॉकी, डण्डों आदि से लैस थे। उनका मकसद वाहन को नुकसान पहुंचाना था और वे खुले तौर पर बोल भी रहे थे कि इन विचारों का प्रचार-प्रसार विश्वविद्यालय परिसर में नहीं करने दिया जाएगा। ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ताओं ने इसका प्रतिरोध किया तो उनके साथ मारपीट शुरू कर दी गई और वाहन के शीशे तोड़ दिये गये। हमलावरों ने भगतसिंह, प्रेमचंद, राहुन सांकृत्यायन आदि की किताबें जमीन पर फेंक दीं तथा वाहन को आग लगाने की भी कोशिश की। जब तक ‘जनचेतना’ के स्वयंसेवकों और अन्य शुभचिन्तकों को खबर मिलती तब तक वे वाहन को काफी क्षति पहुंचा कर भाग चुके थे। इस घटना के बाद दिशा छात्र संगठन, आइसा व एस.एफ.आई. से जुड़े छात्र ‘जनचेतना’ के समर्थन में घटना स्थल पर पहुंचे और अपनी एकजुटता जताई। इस हमले के विरोध में कल दिल्ली विश्वविद्यालय का पूरा जनवादी और प्रगतिशील समुदाय कला संकाय के भीतर ही एक विरोध सभा का आयोजन करेगा। इस मामले की शिकायत ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ताओं ने प्रॉक्टर ऑफिस में की और साथ ही मॉरिसनगर थाने में भी एफआईआर दर्ज कराई है। ‘जनचेतना’ के संजय ने कहा कि अगर ए.बी.वी.पी. के गुण्डे यह समझते हैं कि इस प्रकार की कार्रवाइयों से वे हमें आतंकित करके यहां से हटा सकते हैं तो यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन कला संकाय में लगा रहेगा और इस किस्म के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बाद वाहन की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस प्रशासन की बनती है। अगर वे इस काम को नहीं करते हैं तो इस काम को ‘जनचेतना’ के स्वयंसेवक और समर्थक स्वयं करने को बाध्य होंगे।
आज 21 जनवरी को विश्‍वविद्यालय के तकरीबन 200 छात्रों ने इस घटना के विरोध में रैली निकाली और प्रदर्शन किया। लेकिन हिन्‍दू फासिस्‍टों के संगठन एबीवीपी की गुण्‍डा वाहिनी के हौसले इतने बढ़े हुए हैं कि उन्‍होंने आज फिर लोगों को उकसाने और मारपीट करने की कोशिश की। स्थि‍ति इतनी तनावपूर्ण थी कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। लेकिन विश्‍वविद्यालय के प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई करने के बजाय जनचेतना वैन को वहां से हटाने का आदेश दे दिया, जबकि एक दिन पहले स्‍वयं प्रोक्‍टर इसकी अनुमति दी थी।

6 comments:

amit said...

its shameful

रवि कुमार, रावतभाटा said...

शर्मनाक...
साझे प्रतिरोध की महती जरूरत है...

shameem said...

hitler ji parampara ko aage bada rahe hai ye log
inko sadko par hi jawab diya jayega

Anonymous said...

निश्चित तौर पर शर्मनाक

परंतु पुराने इतिहास को देखते हुए यह शक़ करने की पूरी गुंजाइश कि कहीं यह पुस्तक मेले की तैयारी तो नहीं?

shameem said...

anonymous ji
main apke tark se sahmat hota agar aap in fasisto ke itihas ko jante hote ya phir shayad aap ke liye waicarik sangharsh ko dekhne ka yahi nazariya hai

Punjabiaat said...

Hi comrades we have some punjabi groups, trying to bring them together


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, a indian revolutionary, you can say Lalin from India, played a big role in Indian freedom struggle, was hanged in 23 years of age. come and join us on his groups, and share your views


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