Wednesday, August 5, 2009

चिरस्‍मरणीय - कय्यूर के शहीदों की वीरगाथा

निरंजन

यह कय्यूर की कहानी है जो उत्तरी केरल में मालाबार इलाके में स्थित कसरगोद तालुक का एक गाँव है। यह उस गाँव के किसानों के न्यायोचित संघर्ष की कहानी है। यह कय्यूर के उन चार शहीदों की गाथा है जिन्होंने 1943 में अत्याचारी ज़मींदारों और ब्रिटिश गुलामी के खि़लाफ किसानों के संघर्ष का नेतृत्व किया था और हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे को चूम लिया था। यह उन वीरों की कहानी का ही एक हिस्सा है जिन्होंने देश की आज़ादी और ग़रीब जनता की बेहतर ज़िन्दगी के लिए संघर्ष में अपना जीवन न्योछावर कर दिया था। यह हमारे अतीत और भविष्य के शहीदों की शहादत की लम्बी शृंखला की ही एक कड़ी है।
अगर कय्यूर के संघर्ष का सामान्य इतिहास लिखा जाता तो यह कुछ ही पृष्ठों में समा जाता और तब अनेक तथ्य छुपे ही रह जाते। लोगों के दुर्निवार साहस, उनकी उफनती भावनाओं, राजनीतिक समस्याओं और आर्थिक मुद्दों को सामने लाने के लिए एक पूरे उपन्यास की ही ज़रूरत थी। कन्नड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार निरंजन ने तथ्य और कथा को मिलाकर जो कहानी पेश की है वह अद्भुत है तथा तथ्य से अधिक सत्य है।

कय्यूर के किसान संघर्ष की गाथा बताने वाला यह उपन्यास कन्नड़ में चिरस्मरणेय नाम से छपा था और बेहद लोकप्रिय हुआ था। ‘चिरस्मरण’ नाम से मलयालम में और ‘द स्टार्स शाइन ब्राइटली’ नाम से अंग्रेज़ी में भी इसका अनुवाद हो चुका है। सुपरिचित कवि और पत्रकार रामकृष्ण पाण्डेय का यह हिन्दी अनुवाद पूरे हिन्दी भाषी क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हुआ।

परिकल्‍पना प्रकाशन से प्रकाशित
पुस्‍तक : चिरस्‍मरणी
ISBN 978-81-89760-01-4
मूल्‍य : 40 रुपये

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